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मां के नौ रूप
दोस्तों, हिन्दू धर्म में नवरात्री का पर्व यूं तो बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पर क्या आप लोग जानते है कि जिस प्रकार शारदीय माता के नौ रूपों की आराधना की जाती है उसी प्रकार हर साल आषाण - माघ के माह में भी देवी भगवती के दस महाविद्या रूपों की उपासना कर उनसे धन, समृद्धि, सत्ता, ऐश्वर्ण और व्याधियों से उबरने की शक्ति आशीर्वाद के रूप में प्राप्त की जाती है पर फर्क सिर्फ इतना होता है कि क्योंकि कम ही लोग इस माह पड़ने वाली इन नवरातो के बारे में जानते है इसलिए इसे गुप्त नवरात्री के रूप में ही जाना जाता है।क्या है विशेष
और साथ ही दोस्तों ये गुप्त नवरात्र एक बार नहीं बल्कि साल में दो बार आती है एक आषाण माह के शुक्ल पक्ष व दूसरे-माघ माह के शुक्ल पक्ष में। और इस अवसर पर सभी भक्त अपनी मनोकामनाएं माँ से अवश्य पूरी कराते है और सच कहे तो मनुष्य के सभी दुखो के निवारण हेतु गुप्त नवरात्रो की साधना से बड़कर और कुछ भी नहीं हैक्या है फल
कहते है कि यदि किसी कन्या के विवाह में समस्या आ रही होया काफी समय प्रयत्न किए जाने के उपरांत भी विवाह में अड़चने आ रही हो तो इन नो दिनों में मां कात्यायनी के मंत्र का 108 बार जप करने से शीघ्र ही विवाह हो जाता है
मंत्र इस प्रकार है-
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरी ।
नन्दगोपसुतं देवि पति मे कुरू ते नमः ॥
इसी प्रकार जिन पुरुषों का विवाह नहीं हो पा रहा है वे भी नीचे लिखे मंत्र का 108 बार जप कर शीघ्र ही मनवांछित फल प्राप्त कर सकते है
देहि सौभाग्यमारोग्यम देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि ।
..यहाँ शब्द के अंत में जो बिन्दी लगी है उसे म की तरह पढे जैसे जपं को जपम
उडीसा के जगन्नाथ पुरी की रथयात्रा का उत्सव भी इन्हीं आषाणी नवरात्री की द्वितीया तिथी को मनाया जाता है।
तो दोस्तों! मां भगवती ऐसे ही आपके भण्डारे भरती रही रहे इसी मंगलकामना के साथ आप सभी को गुप्त नवरात्रि की बहुत शुभकामनाए..