गुरुदत्त एक महान कलाकार 9 July । Gurudutt

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विषय-सूची

  • हिंदी फिल्म जगत में उनकी भूमिका
  • क्यों किया जाता है याद
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    क्यों किया जाता है याद

    गुरुदत्त जिनका नाम बचपन में बसन्त कुमार पादुकोण था, और जिन्हे कभी भारतीय फिल्म उद्योग के सबसे बड़े निर्देशको में शुमार किया जाता है उनका जीवन संघर्षों से इतना घिरा होगा क्या कोई जानता था। 

    तो दोस्तों! आज उनके जन्मदिन पर हम उनके बारे में उनके जीवन के विषय में उनके संघर्षों के विषय में जानेंगे। 

    गुरुदत्त जो न केवल निर्माता निर्देशक

    थे बल्कि एक बेहद संजीदा कलाकार और ऐसे कलाकार जो अपने अभिनय में पूरे के पूरे डूब जाते थे के विषय में बहुत कुछ जानेगे।

    भारत के ऑर्सन वेल्स कहे जाने वाले गुरू दत्त का जन्म 9 जुलाई 1925 को बैंगलोर में हुआ था

    हिन्दी फिल्म जगत में उनकी भूमिका

    उनके पिता शिवशंकर राव पादुकोण एक स्कूल में हेडमास्टर थे। फिर कुछ समय के बाद वे एक बैंक में कार्यरत हो गए थे उनकी माताजी वसन्ती भी एक स्कूल अध्यापिका थी और बंगाली उपन्यास का कन्नड रूपान्तरण करने में उन्हें खासी दिलचस्पी थी। कहते है बचपन में माता-पिता के तनावपूर्ण सम्बन्ध, घर की तंग माली हालत और बंगाल की संस्कृति ने उन पर कुछ ऐसा प्रभाव डाला कि वे वसन्त कुमार शिवशंकर पादुकोण से गुरुदत्त हो गए थे।  

    बचपन में जब उनकी बड़ी बहन आरती का दीया जलाती थी तो वे अंधेरे में उस दीए की हलकी रोशनी में अपने हाथ की उंगलियों से बड़ी ही अजब गजब आकृतियां बनाते और उनसे करतब कराते यहीं से उनके मन में अभिनय कला के प्रति रूचि जागृत हुई और वे खुद को एक कलाकार बनने का स्वप्न संजोने लगे। वक्त ने करवट ली और जब वे सौलह साल के हुए तो अल्मोणा आ गए और यहां आकर उन्होंने नृत्य और संगीत की शिक्षा ली पर दुर्भाग्य से वह इन्स्टीट्यूट जहाँ वे शिक्षा ले रहे थे द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण बंद हो गया और वे वापस लौट गए 

    उन्होने एक से बढ़कर एक फिल्म बनाई और उनकी सौ फिल्मे विश्व की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिनी जाती है। 10 अक्टूबर 1964 को वे बाम्बे में अपने बेड पर मृत पाए गए। 

    ऐसा कहा जाता है कि रात बेहद शराब पीने और अधिक नींद की गोलियां खाने के कारण उनकी मौत हुई पर इसके पहले भी वे दो बार आत्महत्या का प्रयास कर चुके थे। उनकी फिल्मे आज भी अगले जमाने के लिए एक मिसाल कही जाती है।

    मैं इस कलाकार को हृदय की गहराइयों से नमन करता हूँ।

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