चन्द्रभानु गुप्त Chandrabhanu Gupt उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री

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विषय-सूची

  • बचपन
  • कैसे आए राजनीति में
  • प्रमुख कार्य
  • चन्द्रभानु गुप्त Chandrabhanu Gupt उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रि और आजादी के दीवानों में चुनोतियों के आगे सीना ताने खड़े चन्द्रभानु गुप्त जी का जन्म 14 जुलाई 1902 में अलीगढ़ उत्तरप्रदेश में हुआ था वे 1960 से 1963 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे व काकोरी रेल कांड में क्रान्तिकारियों की ओर से वकालत करते रहे। नमस्कार दोस्तों, आप पढ़ रहे है लाइफक्लासेस ब्लॉग और आज उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रमानु जी के बारे में जानेगे उनके जीवन के बारे में जानेगे कि कैसे उन्होंने मात्र 5 रु० से अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ एक रैली में शामिल होने से लेकर मुख्यमंत्री बनने का लंबा सफर तय किया और समाज के लिए कई काम किए।

    बचपन

    उनके पिता श्री हीरालाल जी को समाज में खासा सम्मान और रुतबा प्राप्त था। शिक्षा उनकी स्कूली शिक्षा लखनऊ के लखीमपुर खीरी में हुई थी। लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. और एल. एल. बी की।

    कैसे आए राजनीति में

    पढ़ाई पूरी करने के बाद ही उन्होंने वकालत प्रारंभ कर दी थी। परन्तु फिर वे राजनीति में कैसे आए । राजनैतिक जीवन - वे महात्मा गांधी के विचारों से बेहद प्रभावीत कुए और 1916 में अपने घरवालों के विरुद्ध जाकर महान क्रान्तिकारी और स्वतन्त्रता सेनानी लोकमान्य तिलक के एक जुलूस जो केसरबाग से होते हुए चारबाग की ओर जा रहा था उसमें शामिल हो गए और भाग्य से उन्हें जब तिलक जी के पैर छूने का असीम आनंद प्राप्त हुआ तो वे जाने कब राजनीति की ओर अग्रसर हो गए उन्हें भी पता न चला। काकोरी रेल कांड, रौलट एक्ट आदि आन्दोलनों में उनके विरोधी उभरते तेवर के सब कायल हो गए जिसके बाद वर्ष 1928 में उन्हें लखनऊ से कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका में आना पड़ा।

    प्रमुख कार्य

    वर्ष 1948 में आजाद भारत के पहली सरकार के मंत्रीमण्डल में वे गोविन्द वल्लभ पन्त के सचिव के रूप में शामिल हुए। 1960 में जब वे मुख्यमंत्री बने थे उस समय नौकरशाही चरम पर की और सरकारी खजाना खाली पड़ा था। उस समय उन्होंने बड़े अफसरों अयोग्य व्यक्ति को एक पत्र लिखा थी कि प्रशासन को चलाने के लिए किसी योग्य व्यक्ति का हक मारकर को प्रोन्नत नहीं किया जाना चाहिए। एक बार पक्षपात का पहरोग प्रशासन में पनप गया तो धीरे-धीरे यह पूरे तंत्त को ठप्प कर देगा 11 मार्च 1980 को उन्होंने हम सबसे विदा ली।
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